शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

श्रीगणेश

ॐ गुरूजी चाँद सूरज, जिह्वा ज्वाला सरस्वती, हिरदे बसो हमेश, भूल्या अक्षर कंठा कराओ तो गौरी पुत्र गणेश, लगी कूंची खुल्या कपाट, जा देख्या ब्रह्माण्ड का घाट, नो नाडी सुरसत बहे, गुरु शब्द लिव लागी रहे, हिरदे कूंची का जाप सही तो महादेवजी ने कही,
कुछ भी कराने से पहले गणेशजी का और कुछ भी लिखने से पहले माँ सरस्वती का स्मरण जरूरी है. मैंने भी एक छोटी सी स्तुति से दोनों का ध्यान किया है.
शिवराज गूजर

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