शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

रिश्तों का पर्दा

अमूमन मैं शादियों में बहुत कम जाता हूं, मगर इस बार श्रीमती जी अड़ गर्इं। कहने लगीं 'आपको चलना ही पड़ेगा। वह मेरी मुंह बोली बहन है और फिर आपकी भी तो कुछ लगती है।' बात में दम था। मैं बेदम हो गया।
खैर! मैं भी तैयार होकर हो लिया साथ श्रीमती जी के शादी में शरीक होने के लिए।

 रोशनी में जगमगाता पांडाल। रंग-बिरंगे कपड़ों में लिपटे लोग हंसी ठहाकों के बीच खाने का आनंद ले रहे थे। अभी मैं इस माहौल में खोया हुआ था कि मेरे कानों में शहद घोलती सी मगर जोर की आवाज पड़ी-'जीजाजी'। मैं मुड़ा, देखा सामने शीला दुल्हन के जोड़े में सजी खड़ी थी। मैंने व श्रीमती जी ने उसे भावी जीवन की शुभकामनायें दीं। फिर मैंने कहा 'शीला! अरे भई अपने दूल्हे से तो मिलाओ। उस चांद को हम भी तो देखें जिसकी चांदनी में तुम्हारा चेहरा इतना दमक रहा है।' अपनी तारीफ सुनकर वह थोड़ी लजा सी गई थी। फिर उसने लाज मिश्रित प्रसन्नता से मुड़कर अपने पीछे खड़े दोस्तों में मशगूल दूल्हे को आवाज दी। आवाज का पीछा करती जब मेरी नजर लक्ष्य पर पहुंची तो जो देखा वह किसी अजूबे से कम नहीं था। यह तो वही शख्स था जिससे पिछली बार उसने धर्म भाई कहकर मिलवाया था। विस्मय में डूबे जब मैंने उससे यह बात पूछी तो वह हंसकर बोली 'आप भी जीजाजी, इतना भी नहीं समझते। यह तो पर्दा था दुनिया की नजर से अपने प्यार को बचाने का। ' और वह फिर मशगूल हो गई थी श्रीमती जी से बातों में । मैं सोचता ही रह गया रिश्तों के इस अगाढ़ पर्दे के बारे में जो कितना गाढ़ा है, हर एब छुपा लेता है।

3 टिप्‍पणियां:

Ajab Gjab Think.com ने कहा…

नैतिक शिक्षा पर आपकी यह बाते बहुत ही रोचक है, पढ़ कर बहुत अच्‍छा लगा।
allinhindi.com (Harish Mishra)

shivraj gujar ने कहा…

thnx mishraji...hamesha u hi hosla badate rahen.

SUSHIL KUMAR KUSHWAHA ने कहा…

Best Hindi Love Shyari And Hindi Story Ever Shared By You.