एक बार ब्रह्माजी की दाडी में खुजली हो गयी, सलाह मशविरे के बाद दाडी कटवाने का निर्णय लिया गया, हज्जाम बुलाया गया, हज्जाम रस्ते में नारद से टकरा गया, हड़बड़ी का कारन जाने बिना नारदजी उसे कहाँ छोड़ने वाले थे, सारीबात पता चलने पर उन्होंने हज्जाम से एक वचन ले लिया कि वो दाडी के बाल कहीं फेंकने के बजाय उन्हें लाकर देदे, हज्जाम ने ऐसा ही किया, नारदजी ने सारे बाल अपने कमंडल में डाले और मृत्यु लोक में छिड़क दिए, उससे जो जीव पैदा हुए वो पत्रकार बने,
शिवराज गूजर
3 टिप्पणियां:
khoob kaha bhai sahab
इन्हें भी बेमतलब की खुजली होती है
क्या इस कहानी से ब्रह्माजी की बेइज्जती नहीं हुई।
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