रामू नया -नया जयपुर आया था गाँव से , पुलिया के नीचे आदमियों की भीड़ ज्यादा दिखी तो वहीं बगल मैं लगा लिया मूंगफली का ठेला, अभी बोहनी भी नही हुयी थी किएक आदमी आया और ठेले मैं से मुठी भर कर मूंगफली उठाई और चलता बना, रामू ने उसे आवाज देकर पैसे के लिए कहा तो भद्दी सी गाली देते हुए रामू को मरने के लिए झपटा, रामू भी कोई कम नही था, अभी-अभी बीसवें साल मैं कदम रखा ही था, सरीर भी माता-पिता के लाड और झुमरी गायके दूध कि बदोलत आसपास के गाँव मैं किसी का नही था ऐसा पाया था, ऐसे मैं वो कहाँ दबने वाला था, एक ही दावमैं उस आदमी को जमीन दिखा दी, और फ़िर जो लगा दे दनादन जो उसे तबला बना दिया, तभी भीड़ मैं से कोई चिल्लाया
अरे ये तो बिल्लू दादा है , अब ये ठेले वाला तो गया कम से, दादा की इजाजत के बगेर तो इस इलाके मैं पत्ता भी नही हिलता,
रामू के हाथ जहाँ के तहां रुक गए, सीन बदल गया था, अब हाथ दादा के चल रहे थे और रामू गिडगिडा रहा था, माफ़ी मांग रहा था,
शिवराज गूजर
4 टिप्पणियां:
chooti si baat...per bahut gahra sandesh.. badhayi
Isiliye kahte hain, hindustan mein shakal dekh kat tikal karte hain!
Apni kahani se apne ek choti si per gheri baat khe di hai thank U
Thankyou india
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